नगर निकायों का आरक्षण तय करने में पहली बार जन भावनाओं का पूरा ध्यान रखते हुए आरक्षण फाइनल किया गया है। वार्ड से लेकर नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम का अंतिम आरक्षण जारी करने से पहले पूरी प्रकिया का पालन किया गया। ये पहला मौका है जब रिकॉर्ड हजारों की संख्या में आई आपत्तियों को स्वीकार करते हुए सुनवाई का मौका दिया गया। पहली बार बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के शहरी विकास निदेशालय ने आपत्तियों की सुनवाई, निस्तारण कर आरक्षण को फाइनल किया है।
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद शहरी विकास निदेशालय ने पहली बार इस लंबी जटिल प्रक्रिया को बेहद तरीके से नियमानुसार संपन्न कराया। जबकि निकायों का आरक्षण फाइनल करना अपने आप में सबसे जटिल और राजनीतिक दबाव वाली स्थिति रहती है। इस बार बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के आरक्षण फाइनल किया गया है। 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 46 नगर पंचायत का आरक्षण बिना किसी विवाद के फाइनल कर दिया गया है। पूरी प्रक्रिया को लेकर शहरी विकास निदेशालय ने बिना किसी भी राजनीतिक दबाव के संपन्न करा दिया है। निकायों की राजनीति से जुड़े जानकार इसे शहरी विकास निदेशालय की बड़ी कामयाबी बता रहे हैं। ये पहला मौका है, जब आरक्षण फाइनल करने में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव को स्वीकार नहीं किया गया। आरक्षण फाइनल करने को अपनाई गई पारदर्शी व्यवस्था को लेकर इस बात सत्ताधारी दल के भी कई नेता पूरे समय परेशान रहे। सरकार की ओर से अपनाए गए सख्त रुख के कारण आरक्षण तय करने की प्रक्रिया बिना किसी विवाद के संपन्न हो गई।