दून अस्पताल के डॉक्टरों की मेहनत लाई रंग आपको बता दें कि रबिया देवी जो की 8 महीने की गर्भवती थी , उनको साँस फूलने की समस्या के लिए दून अस्पताल लाया गया था कार्डियोलॉजिस्ट ने जाँच करके उनके वाल्व में आये सिकुड़न का पता लगाया जिसको सिव्यर मित्रल स्टेनोसिस कहा जाता है इस बीमारी का इलाज गर्भावस्था में काफ़ी जोखिम भरा होता है ,या तो बलून विधि से किया जाता है या ओपन हार्ट सर्जरी होती है . ऑपरेशन में किसी भी तरह की ऊँच नीच से बच्चे एवं माँ दोनों के जान को ख़तरा हो सकता है . वाल्व के इस बीमारी के इलाज के पहले सामान्य प्रसव या साइजीरियन ऑपरेशन संभव नहीं था
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स्त्री रोग विशेषज्ञ से वार्ता करने के बाद बलून विधि से ऑपरेशन का फ़ैसला लिया गया .
एक घंटे चले ऑपरेशन में बिना चीरा लगाये या बिना बेहोशी की दवा दिये सफलतापूर्वक बलून मित्तल वालवोटोमी ऑपरेशन किया गया . महिला को तुरंत आराम आया और इस के चार घंटे बाद सीज़र ऑपरेशन किया गया अभी माँ और बच्चा दोनों स्वास्थ्य हैं , उत्तराखण्ड में होने वाला पहला ऑपरेशन है जिसे दूँ अस्पताल के डॉक्टरों सफलतापूर्वक अंजाम दिया
कार्सियोलॉजिस्ट डॉ अमर उपाध्याय ने बताया कि प्रेगनेंसी की वजह से हार्ट की फ्लोरोस्कोपिक एनाटॉमी काफ़ी चेंज हो जाती है , प्रोसीजर जल्दी करना पड़ता है ताकि माँ पर फ़िज़िलॉजिकल स्ट्रेस और बच्चे पर विकिरण का प्रभाव कम पड़े