10 लाख रुपए की विदेशी मुद्रा, बैंक लॉकर, डिजिटल उपकरण, अचल संपत्ति से संबंधित कई दस्तावेज भी बरामद

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत 07 फरवरी को बीरेंद्र सिंह कंडारी, बृज बिहारी शर्मा, किशन चंद व अन्य के मामले में उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा में 17 स्थान पर तलाशी अभियान चलाया है।

तलाशी के दौरान 1.10 करोड़ (लगभग) की नगदी और 1.3 किलोग्राम सोना मूल्य लगभग रु. 80 लाख, 10 लाख रुपए की विदेशी मुद्रा, बैंक लॉकर, डिजिटल उपकरण, अचल संपत्ति से संबंधित भारी भरकम दस्तावेज को बरामद और जब्त किया।

प्रेस का जारी विज्ञप्ति में ईडी की ओर से कहा गया कि यह जांच उत्तराखंड पुलिस द्वारा बीरेंद्र सिंह कंडारी और अन्य के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं में दर्ज मुकदमे में की।

ईडी की जांच में पता चला कि आरोपी वीरेंद्र सिंह कंडारी, जो उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का करीबी है और नरेंद्र कुमार वालिया ने हरक सिंह रावत के साथ आपराधिक साजिश रचकर जमीन की दो पॉवर आफ एटोरनी दर्ज कराई थीं, जिस जमीन का विक्रय पत्र

न्यायालय ने रद्द कर दिया। बाद में आरोपियों ने उक्त भूमि को अवैध रूप से दीप्ति रावत पत्नी हरक सिंह रावत को बेच दिया था। और लक्ष्मी सिंह जहां दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, देहरादून रहे हैं पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत निर्मित।

ईडी ने विजिलेंस द्वारा देहरादून में बृजबिहारी शर्मा, किशन चंद व अन्य के विरुद्ध आईपीसी, वन संरक्षण अधिनियम, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम और पीसी अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं में दर्ज मुकदमे की भी जांच की।

ईडी की जांच में पता चला कि आरोपी किशन चंद, तत्कालीन डीएफओ और बृजबिहारी शर्मा, तत्कालीन वन रेंजर अन्य नौकरशाहों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल थे। तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत टेंडर प्रकाशित करने में कामयाब रहे। अधिकृत वित्तीय शक्तियों से अधिक राशि और नियमोंध्दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं थी।

उत्तराखंड सरकार के. उन्होंने फर्जी दस्तावेज भी बनाए और फंड का दुरुपयोग भी किया। टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन के प्रमुख और कैंपा प्रमुख और गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया। उत्तराखंड सरकार को करोड़ों का चूना लगाया और 6000 से अधिक पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया

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