प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा, जनहित पर चर्चा के बजाय, कांग्रेसी विधायकों को ब्रांडेड कंबलों में सदन के अंदर खरांटे लेते सबने देखा। वहीं नेता प्रतिपक्ष और प्रीतम के कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफे को अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश बताया।

पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबंधित करते हुए उन्होंने कहा, जनभावनाओं का सम्मान करते हुए ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मानसून सत्र आयोजित किया गया था। जिसमें कई महत्वपूर्ण विधयेक भी पारित किए गए चाहे उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025, हो, जिसमें मदरसों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और अन्य अल्पसंख्यक समाजों जैसे सिख, जैन, ईसाई, पारसी आदि को भी उसमें शामिल करने का प्रावधान है। चाहे उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध संशोधन विधेयक 2025 जो अवैध धर्मांतरण की रोकथाम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सजा की आजीवन कारावास तक बढ़ाने संस्बंधित था। वहीं अनुपूरक बजट को पारित किया गया, श्री बदरीनाथ तथा श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम, निजी विश्वविद्यालय संशोधन, पंचायती राज संशोधन विधेयक विधयेक भी शामिल थे

उन्होंने कहा, कोई भी इस पक्ष में नहीं होगा कि विधानसभा सत्र चर्चाहीन, हंगामेदार रहे और जिस उद्देश्य से जनता ने अपने प्रतिनिधि सदन में चुन कर भेजे हैं वो जनहित के मुद्दे न उठाएं। लेकिन जिस तरह का हंगामा, तोड़फोड़, शोर शराबा, अभद्र भाषा का प्रयोग कांग्रेस विधायकों ने सदन में किया, वह दुर्भाग्यपूर्ण, असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा था।

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उन्हें आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस शुरुआत से ही गैरसैण में सत्र कराने और उसमें सार्थक चर्चा के पक्ष में नहीं थी।
उनका मकसद और रणनीति थी, केवल और केवल हंगामा करना और मीडिया की सुर्खियां बटोरना। क्योंकि सत्र में धर्मांतरण विरोधी कानून, मदरसों के सुधार पर लाए जाने वाले कानूनों पर विरोध वाली उनकी राय जगजाहिर है।
इन मुद्दों पर अपना सनातन विरोधी रवैया, उनका सदन में स्वीकारना असंभव था। यही वजह है कि उन्होंने हंगामा किया और अराजकता फैलाई। एक और वजह थी कांग्रेस के हंगामा की, वो रही पूर्व के चुनावों की तरह इस बार पंचायत चुनाव में भी उनकी करारी हार। इस पराजय को स्वीकार करते हुए, सदन की चर्चा का सामना करना भी उनके लिए असंभव था।

वहीं उन्होंने धराली, पौड़ी आदि स्थानों की त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा, प्रदेश आपदा के दंश का साहस से सामना कर रहा है। लेकिन बेहद शर्मनाक और असंवेदनशील रवैया रहा विपक्ष का जिन्होंने इस पूरे विषय पर गंभीर चर्चा तक सदन में नहीं होने दी।

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उन्होंने निशाना साधा कि इस सब के पीछे उनका एक बड़ा एजेंडा था, जनाकांक्षाओं को दरकिनार कर अपने व्यक्तिगत हितों को साधना। उन्हें न जनता की चिंता थी ना क्षेत्र के विकास की और ना ही जनहित के मुद्दों की। उनका हंगामा करने का मकसद सिर्फ और सिर्फ अपने ऊपर लगे मुकदमों को हटवाने और जनता का ध्यान भटकाने का था।

कहा, चूंकि संवैधानिक परंपरा और जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सदन को सिर्फ हंगामा, तोड़फोड़, नारेबाजी और राजनीतिक हित साधने के लिए ही चलाया जाना उचित नहीं है। लिहाजा सरकार ने उचित संवैधानिक परंपराओं का पालन कर विधानसभा कार्य मंत्रणा द्वारा निर्धारित सभी जरूरी कार्यों को सदन में निपटाया।

वहीं कांग्रेस पार्टी को उनका राज्य विरोधी इतिहास याद दिलाते हुए कहा, कांग्रेस तो शुरुआत से ही राज्य निर्माण और उसके विकास दोनों की विरोधी रही है। जबकि गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी
भाजपा ने बनाया और वहां विधानसभा सत्र भी हमने शुरू किया और उसका विकास भी हमारी सरकारों द्वारा ही किया जा रहा है।

इस दौरान मीडिया द्वारा पूछे सवाल के जवाब में उन्होंने प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष के विधानसभा कार्य मंत्रणा समिति से इस्तीफे को उनकी नाकामी छुपाने की कोशिश बताया। क्योंकि कार्य मंत्रणा बैठक में उनके द्वारा भी मुख्यमंत्री अध्यक्ष, संसदीय मंत्री एवं अन्य सदस्यों के साथ सत्र की करवाई का एजेंडा निर्धारित किया गया था। लेकिन उसे पर चर्चा एवं सदन का व्यवस्था बनाने के लिए वह अपनी पार्टी विधायकों को तैयार करने में असफल रहे। इसी नाकामी को छुपाने के लिए वह अब इस्तीफा का ड्रामा कर रहे हैं।

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वही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के आरोपों को सिरे से नकारते हुए, इस सब को कांग्रेस पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष बनने की खींचतान का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा जो व्यक्ति प्रदेश की सभी पार्टियों से घूम फिर चुका हो, जिस पर भ्रष्टाचार के कई मामले लंबित हो, जिसकी विश्वसनीयता जनता की नजर में शून्य हो, उसके बेबुनियादी आरोपों को पार्टी गंभीरता से नहीं लेती है। अगर उन्हें अपने आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई लगती तो वे मीडिया में चर्चा के बजाय जांच एजेंसियों या न्यायालय के समक्ष जाते। यह सब आरोपों का ड्रामा सिर्फ और सिर्फ वे अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने और सस्ती लोकप्रियता की खातिर कर रहे हैं।

इस दौरान पत्रकार वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान, सह मीडिया प्रभारी राजेंद्र नेगी, प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन, मीडिया समन्वयक राजीव तलवार मौजूद रहे।

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