उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विभिन्न संस्थाओं का अलग-अलग रोल होता है लेकिन बीजेपी उन सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कब्जा कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में इन पंचायत चुनाव के प्रारंभ से ही देखा कि पहले चुनाव निलंबित किए गए, जब कुछ नहीं हो पाया तो उसके बाद आरक्षण के चक्र को सुनियोजित तरीके से गड़बड़ाया और जिला पंचायत के अध्यक्षों का आरक्षण घोषित नहीं किया ताकि उसका इस्तेमाल आप हथियार के रूप में कर सकें। हरीश रावत ने कहा कि हमने उस समय भी सरकार की मंशा पर आशंका जाहिर की थी, जब आरक्षण जारी हुआ तो आशंका सही साबित हुई।
कमसे कम चार जिलों में जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए आरक्षण का जो चक्र था उसे गड़बड़ाया और लाभ उठाने की कोशिश की गई। जब चुनाव शुरू हुआ जितने गलत हथकंडे हो सकते थे वो सब अपनाए गए। विपक्ष के उम्मीदवारों के नामांकन को रद्द किया गया। तीन तीन जगह वोटर लिस्ट में नाम है उनको नामांकन करने अनुमति दे दी गई। एक्ट के ऊपर चुनाव आयोग का एक आदेश बताता है कि आप विधान मंडल का अपमान करते हैं। हरीश रावत ने कहा कि पंचायतीराज प्रणाली के साथ इस तरीके का दुष्कृत किया जाएगा , पंचायतीराज व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जाएंगी सोचा नहीं था। पुलिस और प्रशासन सत्तारूढ़ दल के लिए वोट जुटाने का और लुटवाने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि बेतालघाट में गोलियां चली जिससे अभी भी एक व्यक्ति घायल है। उन्होंने कहा कि हमारी महिला जिला पंचायत सदस्य के पतियों को गायब किया गया। अल्मोड़ा के अंदर 6 ऐसे मतदाताओं को जो किसी कारणवश बाहर थे वहां पुलिस की वर्दी में जाकर कहा गया कि जिंदगी चाहते हो तो बीजेपी को वोट दो। नैनीताल में जबरदस्ती कांग्रेस सदस्यों को जबरन उठाकर लेजाया गया
