लंबे समय से कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे त्रिस्तरीय पंचायती जनप्रतिनिधियों को जोर का झटका लगा है। शासन में अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि पंचायतों के चुनाव का कार्यकाल बढ़ाने की पंचायत राज एक्ट में कोई व्यवस्था नहीं है। पंचायत के उपचुनाव तय समय पर होंगे। पंचायत के परिसीमन के बाद उनके आरक्षण की कार्रवाई की जाएगी इसके बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाएंगे।
नवंबर माह में पंचायत का 5 साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद दिसंबर में 7,795 ग्राम पंचायत और 400 जिला पंचायत सदस्यों, 95 पंचायत प्रमुख के, जिला पंचायत अध्यक्ष के 12, ग्राम पंचायत सदस्य के 58,970, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 3202 पदों के लिए चुनाव होने हैं मंत्री सतपाल महाराज ने दिए थे कार्यकाल बढ़ाने के निर्देश
पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने पिछले दिनों मुख्य सचिव को पंचायतों का 2 साल का कार्यकाल बढ़ाने की लिए जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। निर्देश में कहा गया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2024-25 में ना करा कर हरिद्वार जिले के साथ वर्ष 2017 में कराने चाहिए। विभागीय मंत्री ने यह भी कहा कि झारखंड में पंचायतों का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया था, वही राजस्थान में भी एक राज्य एक चुनाव की घोषणा की है। इन राज्यों से जानकारी लेकर किसी तरह की व्यवस्था हो सकती है इस पर कार्य किया जाए। इसको लेकर पंचायत राज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार यादव ने साफ किया है कि पंचायत के चुनाव का कार्यकाल बढ़ाने की पंचायत एक्ट में कोई व्यवस्था नहीं है। त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का धरना जारी प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधि त्रिस्तरीय पंचायतों का 2 साल का कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर 15 जुलाई से आंदोलनरत हैं। साथ ही संगठन का कहना है की मांग पर अमल न होने पर 3 अगस्त को पंचायत प्रतिनिधि मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे संगठन के प्रदेश संयोजक जगत सिंह बताते हैं कि राज्य में 2020-21 में कोविड के दौरान त्रिस्तरीय पंचायतों की बैठक नहीं हो सकती। जिससे ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हुआ है। उनका कहना है कि पहले भी पंचायतों का कार्यकाल बढ़ा है। राज्य गठन के बाद 2021 में पंचायत के चुनाव होने थे। लेकिन उस दौरान एक साल तीन महीने 28 दिन का कार्यकाल बढ़ाया गया