एक बार की बात है एक किसान ने सोचा कि अफीम की खेती करूं लेकिन जब फसल बेचने का समय आया तो देखा कि लोगों को अफीम खरीदने में कोई रुचि नही थी।किसान को बहुत नुकसान हुआ और उसने अफीम की खेती करना बंद कर दिया।बिल्कुल उसी तरह अगर जिस व्यापार का ग्राहक ही न होगा तो व्यापार कैसे चलेगा। अर्थात सब कुछ आमजन के हाथ में है।
लोग अक्सर विभिन्न प्रकार के नशा सामग्री जैसे गुटका, तंबाकू, दारू, ड्रग, इत्यादि को कोसते नजर आते हैं क्यों भूल जाते हैं कि आखिर इनका बाजार भी हम ही आबाद कर रहे हैं।इसी तर्ज पर एक और नशा आजकल कुछ ज्यादा ही पंख पसार रहा है जिसको साइबर क्राइम की दुनिया मे सेक्सटारशन( पहले इंटरनेट पर दोस्ती, फिर वीडियो चैट और फिर अश्लीलता ) नाम से जाना जाता है । हमेशा की तरह सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों और महिलाओं को पहुंचता है । हालांकि कुछ महिलाओं की नासमझी के कारण कई बार परिणाम बहुत भयंकर होते हैं। पैसे कमाने की भूख ने लोगों का चारित्रिक पतन इतना ज्यादा कर दिया है कि हमने सारी लाज शर्म छोड़कर रिस्तों को ताक पर रख दिया है। मोबाइल नामक विनाश की सामग्री आज बच्चे- बच्चे के हाथ में पकड़ा रखी है और मॉनिटरिंग जीरो। माता-पिता शिक्षा के नाम पर अपने बच्चों को जो इंटरनेट की सुविधा मुहैया करवा रहे हैं बच्चे इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं इसकी मॉनिटरिंग का तो पश्न ही नही होता या कहें कि बच्चे उनसे 10 कदम आगे हैं जो उनके कंट्रोल में ही नहीं। हमारे युवा और छोटे-छोटे बच्चे इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं। तथाकथित समाज के ठेकेदार और बुद्धिजीवी बड़ी-बड़ी बातों पर अमल करना सिखाते हैं लेकिन यह अश्लील सामग्री नाम का जो जहर हमारे बच्चों के अंदर भरा जा रहा है उस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा ।जाने अनजाने हम सब लोग इसकी गिरफ्त में हैं। फेसबुक प्रोफाइल से या व्हाट्सएप प्रोफाइल से किसी को अपने सपनों का राजकुमार और राजकुमारी समझ लेना मानसिक विकृति का सबसे बड़ा उदाहरण है । यह इतना बड़ा जाल है जिसमें अच्छे भले पढ़े लिखे लोग भी गिरफ्त में आ रहे हैं। हर वक्त मोबाइल में घुसे रहना और अश्लील सामग्री को पढ़ना उसे शेयर करना लोगों के मानसिक विकार दर्शाता है जो निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी आपदा के रूप में सामने आ रहा है। छोटे-छोटे बच्चे जिनके हाथ में माता-पिता जाने अनजाने इंटरनेट नाम का राक्षस पकड़ा चुके हैं वह सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं नतीजा गलत कंटेंट देखकर बलात्कार और छेड़खानी जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं। छोटी छोटी बच्चियों और महिलाओ की तस्करी जैसे खतरनाक अपराध। शायद ही कोई कोना ऐसा हो जहां पर बच्चे इस तरह की गंदी सामग्री का प्रयोग ना कर रहे हैं ।इसको गंभीरता से विचार करना होगा जैसा कि पहले भी मैंने कहा है इस संसार में कुछ भी नष्ट नहीं होता अगर आप गंदा परोसेंगे तो गंदा ही मिलेगा, हमारे कर्मों का फल बोलें या कुछ और खुद हमारे पास वापस आता ही है । एक बात हमेशा याद रखें आज किसी की बच्ची के साथ अन्याय हो कर मूक बने रहने पर कल आप भी शिकार हो सकते हैं। समस्याओं पर केवल बात करना ही विकल्प नही उसका समाधान करना होता है। महिलाओं को भी समझना होगा कि हमें अपने आत्मसम्मान को बरकरार रखते हुए आधुनिक जीवन को अपनाना होगा। सफेदपोश समाज के दुश्मन मीठी मीठी बातें करके आप को सब्जबाग दिखा रहे हैं नतीजा महिलाओं की तस्करी जिसके परिणाम निश्चित रूप से प्रलयंकारी हैं।
याद रखिए इस संसार में मुफ्त नाम की कोई चीज नहीं होती। फ्री अर्थात मौत की दावत ।मोबाइल कंपनियों ने पैसे कमाने के लिए पहले मुफ्त डाटा दिया ताकि लोगों को इसकी लत लग जाए और आज स्थिति आपके सामने हैं । कई घरों में तो बच्चे अपने माता-पिता को मारपीट कर पैसे ले जाकर इंटरनेट भरवा रहे हैं ताकि वह गंदी सामग्री देख सके। छोटी-छोटी बच्चियों को हाड़ मांस का पुतला से अधिक नहीं समझते हैं । आपको याद होगा जब जियो ने फ्री डेटा की बात की थी तो यह बाजारवाद का सबसे निकृष्ट नमूना था। बच्चों को मानसिक विकलांग बना दिया गया और अब लत इतनी बढ़ चुकी है कि लोग किसी भी हद तक जाकर डाटा भरवाते हैं और अश्लीलता परोसते हैं। इसको समय रहते रोकना होगा ।आइए इस तरह के अश्लील सामग्रियों को वितरित करना बंद करें ।पत्रकारिता का स्तर तो इतना गिर गया है कि TRP के लिए एक खबर के साथ गंदे और अश्लील विज्ञापन दिखाती है। उनको ब्लॉक करें और उनका प्रतिकार करें। आवश्यक समय ही इंटरनेट पर गुजारें , गलत सामग्री सर्च ना करें । नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन बंद करें। एक अच्छा जीवन जियें और अपने बच्चों के लिए एक अच्छे जीवन की स्क्रिप्ट तैयार करें।
अश्लीलता का बाजार बंद नहीं तो कम से कम कुछ कम तो होगा। पूर्ण रूप से बहिष्कार करें और अपने बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य दें।
विभा

नोट :लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं विभा पोखरियाल नौडियाल

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