धराली (उत्तरकाशी) में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय व श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने राहत कार्यों की कमान संभाल ली है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बुधवार को उत्तरकाशी जिले के बड़कोट स्थित एसजीआरआर पब्लिक स्कूल के माध्यम से राहत सामग्री पहुंचाएगा। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान के शोधार्थियों ने अपने शोध कार्य के माध्यम से उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून के दौरान बादल फटने की संभावनाओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। पूर्व शोध में किए गए शोधकार्य में शोधार्थियों ने यह स्पष्ट किया था कि घाटी क्षेत्रों से गुजरने वाले गाढ़-गदेरे बरसात के मौसम में अचानक जलस्तर बढ़ने से अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे अचानक आई बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के प्रधान कार्यालय ने निर्देश जारी कर राहत कार्यों के लिए समन्वय स्थापित करने को कहा है। इसके तहत आपदा प्रभावितों को दवाइयां, खाद्य सामग्री, कंबल, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जाएंगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि आपदा से प्रभावित क्षेत्र के बच्चों को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुछ चयनित पाठ्यक्रमों में निःशुल्क प्रवेश प्रदान किया जाएगा। साथ ही, देहरादून स्थित श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में पीड़ितों को निःशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस मानवीय प्रयास की जानकारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. लोकेश गंभीर ने दी।
श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल बड़कोट की प्रधानाचार्य कमला रावत एवम् श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल पुरोला के प्रधानाचार्य उत्तम सिंह चैहान ने जानकारी दी कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के माननीय चेयरमैन श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज के विशेष दिशा-निर्देश पर राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सक्रियता दिखाई जा रही है। प्रधानाचार्य ने एडीएम उत्तरकाशी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर राहत सामग्री भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। उन्होंने बताया कि भारी वर्षा के कारण उत्तरकाशी से आगे का मार्ग बाधित है, जिस कारण राहत सामग्री को उत्तरकाशी स्थित राहत सामग्री नियंत्रण कक्ष में भेजा जाएगा। एसजीआरआर विश्वविद्यालय के प्रधान कार्यालय द्वारा उत्तरकाशी स्थित सभी एसजीआरआर संस्थानों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि वे राहत एवं बचाव कार्यों में हर संभव सहयोग प्रदान करें। संस्था की ओर से यह पहल आपदा की घड़ी में सामाजिक उत्तरदायित्व का परिचायक है।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के भूशोधार्थियों का यह भी मानना है कि ऐसी आपदाएँ अक्सर पूर्व संकेत दिए बिना घटित होती हैं और इनकी पुनरावृत्ति संभावित है। रात्रि के समय बादल फटने की घटनाएं अधिक घटित होती हैं और ज्यादा नुकसान दायक होती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि वर्ष के इन संवेदनशील महीनों में विशेष सतर्कता बरतते हुए पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की पूर्व योजना बनानी चाहिए। इससे जन-धन की हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है।

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