उत्तरजन साहित्य संवाद द्वारा अपराहन 11:30 बजे से राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान में खी कवियों के एक काव्य पाठ का आयोजन किया गया जिसका समापन शाम 04:00 बजे हुआ. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुपरिचित लेखिका प्रतिभा कटिवार थी. कार्यक्रम का संचालन डा० संगीता बिजल्वान जोशी ने किया जो कि उत्तरजन साहित्य-संवाद समिति की सचिव भी हैं. कार्यक्रम के संयोजक श्री लोकेश नवानी एवं कार्य क्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष श्री जयदीप सिंह रावत द्वारा की गयी

आयोजन के केंद्र में कुछ ऐसी खी रचनाधर्मी थी जो समकालीन दृष्टि से लिख रही हैं लेकिन जिन्हें कभी सुना नहीं गया था और जो अल्प ज्ञात हैं. मगर अपनी सोच, तेवर और संवेदनाओं के स्तर पर वह सभी संभावनाशील रचनाकार हैं, खी ने पिछले दशको में एक नई और बदलती सोच और सामाजिक परिवर्तन के बीच संवेदनाओं की एक रचनात्मक यात्रा की है. इस अवसर पर यह विचार दृष्टिगोचर हुआ कि आज की खी कविता की दुनिया में व्याप्त विसंगतियों, विग्रुपताओं, अन्याय, नकारात्मक विचारों और रूढ़ व्यवहारों के खिलाफ खड़ा करता है, उसका प्रतिरोध करता है. साहित्य विचार से समृद्ध, जिम्मेदार और गंभीर नागरिक का निर्माण भी करता है. साहित्य के बिना अच्छी, सुन्दर और न्यायसंगत दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती, अतः कामना है कि हम सब प्रदिप्त हो, अज्ञान से मुक्ति प्राप्त करें और तार्किक प्रतिरोध का गुण प्राप्त करें. इस काव्य पाठ के माध्यम से विचार स्थापित करते हुए वी कवियों ने सन्देश दिया कि हम सब एक सुन्दर और समभाव वाले विश्व की परिकल्पना करें और सृजन के माध्यम से अधिक संवेदनशील और न्यायसंगत दुनिया का निर्माण करें, जैसे कि एक खी परिवार और समाज के निर्माण में अपना योगदान करती है.

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संस्था के अध्यक्ष जयदीप सिंह रावत द्वारा स्वागत करते हुए कहा कि उत्तरजन साहित्य-संवाद इसी विचार पर केन्द्रित रहते हुए कार्य करना चाहता है और कविता तथा साहित्य में रूचि रखनेवाले प्रबुद्धजनों का यह समूह इसी उद्देश्य अर्थात रचनात्मकता से जुडी नई पीढ़ी में जनपक्षीय सांस्कृतिक चेतना के प्रसार के साथ ही रचनात्मक प्रवृतियों को बढ़ावा देना व उनहें अच्छा पाठक, समीक्षक, चिन्तक और रचनाकार बनने के लिए माहौल उपलब्ध कराना है, इसके अतिरिक्त इसी उद्देश्य पर अवलंबित रहते हुए उन्हें अच्छी कविता और श्रेष्ठ साहित्य से परिचित कराना भी है. हम उत्तराखंड में क्रियाशील है और हमारा लक्ष्य है कि हम यहाँ साहित्य के फलक के विस्तार में अपना योगदान करें. उनके द्वारा यह भी बताया गया कि यह उत्तरजन साहित्य संवाद का पांचवा आयोजन है और यह इस श्रृंखला का पहला प्रयोग. इसकी निमित्त बनी हैं. “खी रचनाकार” अर्थात आज के आयोजन के केंद्र में खी रचनाकार है. विशेषरूप से वह रखनाकार, जो नया सोच रही हैं और विचार के स्तर पर समकालीन हैं लेकिन अल्पज्ञात और नवोदित हैं. वस्तुतः हम श्रीकविता के बहाने एक विमर्श भी खड़ा करना चाहते हैं कि समर्थ होते हुए भी खियाँ अपना आकाश नहीं छू पा रही हैं. हमारी मनसा है कि कविता के बहाने न केवल मौजूदा खीचेतना का मूल्यांकन करें अपितु यह भी देखें कि विश्व की समकालीन रचनात्मक चेतना के फलक पर छोटे शहरों और गांवों की खी किस जगह खड़ी हैं, वह कहां पर हैं? यह प्रयोग इसी दिशा में है. इस प्रयोग में दो तरह की महिला रचनाकार हैं, पहली वह, जो आज की दृष्टि से दुनिया को देखती हुई रच रही हैं, उनके सृजन में आधुनिकता बोध और नया समयबोध है. वह वरिष्ट हैं दूसरी नई पीढ़ी की रचनाकार हैं उनकी भी अपनी मौलिक सृजनात्मकतायुक्त दृष्टि है, जो अभी विकास की और अग्रसर है, लेकिन वह आधुनिक समाज और दुनिया को अपने ढंग से महसूस कर रही हैं.

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कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुपरिचित लेखिका प्रतिभा कटियार ने अपने उद्धोदन में कहा कि खी विमर्श का अर्थ केवल श्री से सम्बंधित बात करना नहीं है चल्कि उसमें पुरुषों का शामिल होना भी आवश्यक है और अच्छी दुनिया के लिए हमें साथ साथ चलना है उन्होंने कहा कि कविता लिखना आसान नहीं है.

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गोष्ठी के संयोजक श्री लोकेश नवानी ने कहा कि आज की खी को समझना है तो हमें देखना, पढना या जानना चाहिए कि राखी में कविता कैसे फूट रही है. उन्होंने राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के कार्यकारी निदेशक श्री मनीष वर्मा का सहयोग करने एवं सभागार उपलब्ध करानेके लिए हृदय से आभार व्यक्त किया.

इस प्रकार से उक्त वैचारिक धरातल पर आज का आयोजन अत्यधिक सफलता के साथ समाप्त हुआ, इस गोष्ठी में अपनी रचना जिन स्त्री कवियों ने प्रस्तुत की उनमे मुख्य अथिति सुप्रसिद्ध लेखिका मुख्य अथिति प्रतिभा कटियार, नीलम पाण्डेय नील, कोटद्वार से आयी लेखिका रिद्धी भट्ट, अल्मोड़ा से आयी डा० प्रेरणा शर्मा, कान्ता घिल्डियाल, सुनीता चौहान, डा० उमा शर्मा, सोनिया गैरोला, डा० शिवा जोहरी, भारती आनन्द अनंता, डा० संगीता बिजल्वान जोशी तथा नवोदित कवियों में सुप्रिया सकलान, हितैषी नेगीप्रिय देवली, सीमा थापा, साक्षी सकलानी, आरजे लक्ष्मी तथा अनामिका गायत्री आदि ने अपनी रचनाओं का वाचन किया.

इस आयोजन में अशोक मिश्रा, डी.एस. रावत, मनमोहन सिंह रावत, दिनेश डबराल, ब्रजपाल सिंह रावत, शांति प्रकाश जिज्ञाशु”, डा० आशा रावत, विमला रावत, शोधा रतूड़ी, बीना डंगवाल व संस्थान की अनेक छात्राएं उपस्थित

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