उत्तराखंड में जल रही थी पांच जवानों और केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत की जल रही थी चिता दिल्ली में हो रहा था केदारनाथ धाम मंदिर का शिलान्यास: कांग्रेस सीएम पुष्कर सिंह धामी के अश्वासन के बाद पंडा पुरोहित ने किया अपना धरना स्थगित में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास के बाद उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक मचे बवाल मचा हुआ है विपक्षी दलों के विधायक से लेक वरिष्ठ नेता सामाजिक संगठन पंडा पुरोहित से
लेकर आम आदमी दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर निर्माण को लेकर सख्त नाराज हैं , वहीं आज सीएम धामी के अश्वासन के बाद केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने अपना धरना स्थगित कर दिया ,जब तक तीर्थ पुरोहितों की धरना स्थगित करने वाली खबर आई तब तक। प्रेस क्लब देहरादून में केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रोतेला ने एक प्रेस कांफ्रेंस रखी थी जिससे पहले प्रेस क्लब पूरी छावनी में तब्दील दिख रहा था समझ में नहीं आया पहले सुरेन्द्र रोतेला की प्रेसवार्ता है या फिर किसी और बीवीआईपी
की इतनी सुरक्षा देखकर सारे पत्रकार भौंचक रह गये ।लेकिन प्रेस कांफ्रेंस का समय 1 बजे था लेकिन सुरेन्द्र रोतेला लेकिन सुरेन्द्र रोतेला एक बजकर 20 मिनट पर पहुंचे जिससे पत्रकारों में नाराजगी दिखी ।जिसके बाद ट्रस्ट से जुड़ी महिला ने हाथ देखा कर रोब से रुकने को बोला । लेकिन महिला अनैतिक रवैया से नाराज होकर प्रेस वार्ता का बहिष्कार कर दिया । लेकिन महिला के माफी मांगने के बाद कुछ पत्रकारों ने प्रेसवार्ता को कवर किया सुरेन्द्र रोतेला का कहना है कि दिल्ली में मंदिर बन रहा धाम नहीं साथ ही रोतेला ने कहा की कुछ लोग अपनी राजनीतिक लाभ के लिए विवाद खड़ा किया जा रहा है सुरेन्द्र रोतेला के प्रेसवार्ता के अंश
देहरादून। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर जो विवाद खड़ा किया जा रहा है उस पर श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के द्वारा ये साफ किया गया कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं बनाया जा रहा बल्कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। उसके बाद भी कुछ लोग इस मुद्दे को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। देहरादून में आयोजित प्रेस वार्ता में श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने कहा, “हम एक बार पुनरू स्पष्ट कर रहे हैं कि उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ, करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं और सदैव रहेंगे, इसलिए लोगों की आस्था से खिलवाड़ का कोई प्रश्न नहीं उठता है। केदारनाथ धाम जहां है, वह सदैव वहीं रहेगा और लोगों की आस्था भी बाबा केदार में उसी प्रकार रहेगी। हम केवल दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कर रहे हैं यानी भगवान शिव का एक मंदिर बना रहे हैं और ये पहली बार नहीं है जब बाबा भोलेनाथ का किसी स्थान पर मंदिर बन रहा हो ये हिन्दू बहुल राष्ट्र है, सनातन परंपरा पर चलने वाला देश है, हमारे यहां तो मंदिरों का निर्माण पवित्र कार्य माना जाता है। हम भी उसी के भागी बनने का प्रयास कर रहे हैं। किंतु कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इसे केदारनाथ धाम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह सिर्फ और सिर्फ एक मंदिर है… और इस तरह के मंदिर हमारे देश में पहले भी कई बन चुके हैं। क्या अयोध्या के अलावा देश में कहीं पर भी राम मंदिर नहीं है? क्या मथुरा-वृंदावन के अलावा देश के किसी भी हिस्से में भगवान कृष्ण का मंदिर नहीं है? हमारी सनातन परंपरा इतनी मजबूत है कि हर शहर, हर मोहल्ले, हर गली में एक मंदिर बना हुआ है, तो क्या उन मंदिर के बनने से मूल मंदिर का महत्व, उसका अस्तित्व समाप्त हो गया? बिल्कुल नहीं, इसलिए मैं एक बार फिर साफ कर दूं कि जिस तरह आस्था के भाव से कोई भी भक्त भगवान के मंदिर का निर्माण करवाता है, हमारा ट्रस्ट भी उसी भाव से दिल्ली में भगवान केदारनाथ के मंदिर का निर्माण करवा रहा है।“ सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में कुछ लोगों ने यह विषय भी उठाया कि बाबा केदारनाथ का मंदिर एक ज्योतिर्लिंग है इसलिए उसकी कोई दूसरी प्रतिकृति नहीं होसकती है, इस पर श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट का कहना है कि हमारे जो 12 ज्योतिर्लिंग हैं, उन सभी ज्योतिर्लिंगों के नाम से देश में कई मंदिर बने हुए हैं इसके अलावा ट्रस्ट की तरफ से मंदिर निर्माण के समर्थन में यह जानकारी भी दी गई कि बिरला जी के द्वारा इंदौर में केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया गया था। ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में भी केदारनाथ मंदिर है और काशी में केदार घाट के पास केदार मंदिर है। गुजरात के पाटन में भगवान शिव को समर्पित केदारेश्वर मंदिर है। जम्मू-कश्मीर में भी एक स्थान है जिसे केदारनाथ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा आप सभी को पता होगा कि बदरीनाथ उत्तराखंड के चार धामों में से एक है, और मुंबई में भी इसी नाम से एक मंदिर बना हुआ है। माँ वैष्णो देवी के मंदिर तो पूरे देश में कई स्थान पर हैं। तिरुपति बालाजी का मंदिर भी बेंगलुरू के अलावा, चेन्नई और दिल्ली में भी है।