उत्तराखंड राज्य स्थापना को 25 वर्ष होने को हैं, लेकिन पहाड़ों में आज भी बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं और डॉक्टरों की लापरवाही से कई गर्भवती महिलाएं अपनी जान गंवा रही है। अब ताजा मामला टिहरी जिले के घनसाली क्षेत्र का है….यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिलखी में बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला की तबीयत बिगड़ गई। आनन-फानन में डॉक्टरों ने महिला को हायर सेंटर बेस अस्पताल रेफर किया, लेकिन वहां महिला की मौत हो गई।
महिला ने डिलीवरी के बाद तोडा दम
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत सेम बासर की रवीना कठैत (22) पत्नी कुलदीप कठैत को गुरुवार सुबह 6 बजे प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद परिजन महिला को पीएचसी पिलखी ले गए। जहां महिला ने सुबह करीब 8 बजे बच्चे को जन्म दिया। देर शाम को महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। चिकित्सकों के अनुसार महिला को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर बेस अस्पताल श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया। शुक्रवार को उपचार के दौरान महिला की मौत हो गई।
डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप
रवीना के पति होटल में कार्य करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रात को उनकी पत्नी को जब सांस लेने में दिक्कत हुई, तो वहां कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था, वहां सिर्फ वार्ड ब्वाय ही था। जिससे चिकित्सकों की लापरवाही साफ झलकती है। उन्होंने इसकी जांच की मांग की है।
धरने पर बैठे ग्रामीण
वहीं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिलखी में धरना दिया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। सरकार पर भिलंगना क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया
ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। सर्जन और महिला रोग विशेषयज्ञ तक तैनात नहीं है। दवाओं का अभाव बना हुआ है। इस कारण लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बुखार, सिरदर्द तक की दवाईयों के लिए लोगों को श्रीनगर, ऋषिकेश व देहरादून उपचार के लिए जाना पड़ रहा है।
सीएमओ को सौंपा ज्ञापन
उन्होंने मृत महिला के परिजनों को 25 लाख का मुआवजा देने, परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने, मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की। धरना स्थल पर पहुंचे सीएमओ डॉ. श्याम विजय को समस्याओं के संबंध में ज्ञापन सौंपा। सीएमओ ने उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही भिलंगना के अस्पतालों में रिक्त चल रहे डॉक्टरों के पदों पर रोस्टर के अनुसार तैनाती की जाएगी। सर्जन एक सप्ताह के अंतर्गत कार्यभार ग्रहण करेंगे।
बता दें कि ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसी ही घटना इसी अस्पताल में बीते 6 सितम्बर को हुई थी, जहां महिला की डिलीवरी के कुछ दिन बाद 15 सितम्बर को मौत हो गई थी
