मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा राज्य के शहरों में पेयजल समस्याओं के निजात के लिए फंडिंग की जाती है इसलिए हमारा कर्त्तव्य है कि हम इसमें पूरी तत्परता से कार्य करें। उन्होंने कहा कि अमृत योजना का उद्देश्य प्रदेश के शहरों में जलापूर्ति, सीवरेज, जल निकासी, शहरी परिवहन तथा शहरों में अत्याधुनिक सुविधाओं का निर्माण करना है, इन सभी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति कराना विभाग की जिम्मेदारी है।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश के शहरों में अमृत योजना-1.0 के तहत 151 योजनाएं कार्यरत हैं जिनमें से 143 योजनाएं पूर्ण हो चुकीं हैं तथा शेष 08 योजनाओं को दिसम्बर 2024 तक पूर्ण करने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
मंत्री ने कहा कि अमृत योजना-2.0 जोकि वर्ष 2021 से 2026 तक की समयावधि के लिए थी जिसमें सम्मिलित योजनाओं पर विभाग द्वारा तेजी से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमृत योजना के तहत प्रदेश के 27 शहरों में कार्य गतिमान हैं। उन्होंने कहा कि पहले फेज में लगभग रू0 233 करोड़ के विकास कार्य किये जायेंगे जबकि दूसरे फेज के विकास कार्यों के निष्पादन के लिए लगभग रू0 356 करोड़ की स्वीकृति हेतु भारत सरकार को भेजा गया है।
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि हमारा सर्वप्रथम उद्देश्य जनता को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि यदि सभी कार्य ससमय पूर्ण हो जाते हैं तो प्रदेश के 27 शहरों को लगभग मार्च 2026 तक शत-प्रतिशत पेयजल सुविधाओं से आच्छादित किया जा सकेगा।
मंत्री ने कहा कि अमृत योजना से जुड़े विकास कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जायेगी तथा उन्होंने अधिकारियों को सख्त लहजे में निर्देशित करते हुए कहा कि विकास कार्यों की गुणवत्ता में किसी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, लापरवाही में संलिप्त व्यक्ति या विभाग के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी।
इस अवसर पर बैठक में नितिन भदौरिया, अपर सचिव, शहरी विकास/मिशन डायरेक्टर, जल जीवन मिशन, एल.एन. मिश्रा, अपर निदेशक, शहरी विकास, संजय सिंह, सीई (एचक्यू), पेयजल निगम, एवं अन्य विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।