राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तकें अब प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों में पढ़ाई जायेगी। इसके अलावा निजी विद्यालयों में बच्चों के बस्तों का भार कम करने और प्रत्येक माह में एक दिन बैग फ्री डे मनाया जायेगा। इसकी विधिवत शुरूआत अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में की जायेगी, जिस पर निजी विद्यालय संगठनों एवं स्कूल संचालकों ने अपनी हामी भर दी है।

सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को प्रदेशभर में तेजी से लागू किया जा रहा है। इसी क्रम में विगत शुक्रवार को प्रदेशभर के निजी विद्यालय संगठनों एवं संचालकों के साथ अहम बैठक हुई, जिसमें राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा तैयार ‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तकों को कक्षावार निजी विद्यालयों में लागू करने का निर्णय लिया गया। डॉ. रावत ने बताया कि निजी विद्यालयों में पुस्तकें लागू होने से यहां अध्ययनरत देश-विदेश के बच्चे उत्तराखंड की समृद्ध लोक विरासत, सांस्कृतिक विविधता, पृथक राज्य आंदोलन, सांस्कृतिक व सामाजिक चेतना से जुड़े आंदोलन, लोकगीत, लोकनृत्य, पर्यटक व ऐतिहासिक स्थल सहित राज्य की महान विभूतियों के बारे में जान सकेंगे। इसके अलावा सरकारी विद्यालयों की भांति निजी विद्यालयों में भी कक्षावार बस्तों का निर्धारित वजन लागू किया जायेगा, ताकि बच्चों को बस्ते का अनावश्यक बोझ न ढोना पड़े। इसके अलावा प्रत्येक महीने एक दिन निजी विद्यालयों में भी ‘बैग फ्री डे’ लागू किया जायेगा, ताकि बच्चों में पढ़ाई का तनाव कम हो और बच्चों को नई शिक्षण विधियों को अपनाने का अवसर मिल सके। इसकी विधिवत शुरूआत अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में की जायेगी। विभागीय मंत्री ने बताया कि बैठक में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने में निजी विद्यालयों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिये सभी प्राइवेट स्कूलों को विद्या समीक्षा केन्द्र से जोड़ने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा बैठक में निजी एवं सरकारी विद्यालयों के बीच टीचिंग शेयरिंग प्रोग्राम चलाने, प्रयोगशाला व खेल मैदानों को आपस में साझा करने का भी निर्णय लिया गया, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो सकेगा। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने निजी विद्यालयों के प्रत्येक शिक्षक को साक्षर उत्तराखंड अभियान का हिस्सा बनकर एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर बनाने तथा स्कूल संचालकों को टीबी मुक्त भारत अभियान में सामाजिक सहभागिता के तहत निःक्षय मित्र बनकर टीबी मरीज को गोद लेने का भी अह्वान किया। जिस पर सभी निजी विद्यालयों के संचालकों ने अपनी सहमती व्यक्त की।

ये भी पढ़ें:  होली पर मिलावटखोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई, उत्तराखंड में ताबड़तोड़ छापेमारी अभियान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *