इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियाँ मैदानों से बिल्कुल भिन्न हैं, इसलिए यहाँ स्वच्छता एवं कचरा निस्तारण हेतु अलग रणनीतियों की आवश्यकता है। इसी दृष्टिकोण से उत्तराखंड सरकार द्वारा विशेष योजनाएँ लागू की जा रही हैं।

प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट
राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण मित्रों की नियुक्ति की जाएगी, जो वन क्षेत्रों में फैले प्लास्टिक कचरे को एकत्रित कर उसका सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित करेंगे।

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फीकल स्लज मैनेजमेंट
दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ वाहनों की पहुँच संभव नहीं है, वहाँ स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए ट्विन पिट शौचालयों का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए धनराशि को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 8,600 रुपये तक करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह तकनीक पहाड़ी इलाकों में कचरा और मल-जल प्रबंधन के लिए सर्वश्रेष्ठ और टिकाऊ मानी गई है।

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सैनिटेशन कैम्पेन
स्वच्छता को जनआंदोलन बनाने के उद्देश्य से विशेष अभियानों का संचालन किया जाएगा। इसका लक्ष्य है कि वन और पर्यावरण सदैव स्वच्छ व सुरक्षित बने रहें।

माननीय मंत्री जी ने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से न केवल गाँवों और वन क्षेत्रों में स्वच्छता व्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि स्थानीय लोगों की भागीदारी से रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सहयोगात्मक भूमिका की सराहना करते हुए भरोसा जताया कि आने वाले

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