राज्य के सहकारी बैंकों में एनपीए को 5 फीसदी से नीचे लाने को ठोस रणनीति तैयार करने निर्देश अधिकारियों को दे दिये हैं। इसके अलावा की बहुउद्देशीय समितियों के गठन, बिजनेस प्लान, ऑडिट तथा पैक्स कम्प्यूटरीकरण में तेजी लाने को भी अधिकारियों को कहा गया है।

सूबे के सहकारिता मंत्री डॉ रावत ने आज मियांवाला स्थित निबंधक कार्यालय सभागार में सहकारिता की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक ली। जिसमें सभी 13 जनपदों के जिला सहायक निबंधक, सहकारी बैंक सचिव व महाप्रबंधक मौजूद रहे।

बैठक में डॉ रावत ने सहकारी बैंकों की जनपदवार ग्रॉस एनपीए की समीक्षा कर अधिकारियों को हर हाल में एनपीए को 5% से कम करने की समयबद्ध रणनीति तैयार करने निर्देश दिये। इसके अलावा उन्होंने सल बहुउद्देशीय समितियों के गठन, बिजनेस प्लान, ऑडिट तथा पैक्स कम्प्यूटरीकरण को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश दिये।

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बैठक में अपर निबंधक ईरा उप्रेती द्वारा “सहकार मंथन” तथा प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन के प्रबंध निदेशक मंगला त्रिपाठी द्वारा गुजरात अध्ययन भ्रमण कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण दिया गया। इसके अतिरिक्त राज्य में सहकारिता के भावी रोडमैप पर भी चर्चा हुई।

डॉ. रावत ने कहा कि वह स्वयं प्रत्येक जनपद में डीएम, सीडीओ, सचिव सहकारिता और निबंधक की उपस्थिति में जिलेवार समीक्षा बैठकें करेंगे, जिसकी शुरुआत हरिद्वार जनपद से की जायेगी।

उन्होंने विभिन्न अभिनव योजनाएं लाने के निर्देश दिए, जिनमें विशेष रूप से निम्न बिंदु शामिल रहे:

ठेली-खोमचे व्यवसायियों को जोड़कर नए खाता खुलवाने की योजना इन्हें प्रतिदिन के अनुसार व्यापार के लिए पैसा दिया जाए जिससे उनकी आरती की में भी सुधार हुआ और बैंक को व्यावसायिक लाभ हो

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प्रदेश के 17,000 स्कूलों के खाते जिला सहकारी बैंकों में खुलवाने हेतु प्रधानाचार्यों व शिक्षा अधिकारियों से समन्वय।

प्रदेश के 25,000 टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके बैंक खाते खोले जाएं।

तीन लाख डिग्री कॉलेज छात्रों को भी सहकारिता बैंकिंग से जोड़ा जाए।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने सहकारिता मेला के लिए डिजिटल माध्यम से सुझाव आमंत्रित करने, थीम आधारित आयोजन, तथा जनपद/प्रदेश स्तर पर मासिक पत्रिका प्रकाशन की भी घोषणा की।

डॉ. रावत ने कहा कि, “बहुउद्देशीय प्राथमिक सहकारी समितियां सहकारिता विभाग की आत्मा हैं। इन समितियों में योग्य प्रशिक्षित सचिवों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाए।”

वीर माधौ सिंह भंडारी सामूहिक खेती की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने संबंधित नोडल अधिकारियों को कार्रवाई तेज करने को कहा।

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बैठक के अंत में उन्होंने साफ संदेश देते हुए कहा कि, “जिन जिलों में सहकारी बैंक कर्मचारियों की कार्यप्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, उनका मूल्यांकन कर जबरन सेवानिवृत्ति जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जाए।” साथ ही अन्य राज्यों जैसे गुजरात, केरल व कर्नाटक के सफल सहकारिता मॉडल को उत्तराखंड में अपनाने पर भी विचार करने को कहा।

समीक्षा बैठक में सचिव सहकारिता डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक सहकारिता डॉ मेहरबान बिष्ट, अपर निबंधक ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ल, प्रबंध निदशक मंगला त्रिपाठी, उप निबंधक रमेन्द्री मंदरवाल, जिला सहायक निबंधक मुख्यालय राजेश चौहन, मोनिका चुनेरा समेत सभी जनपदों के जिला सहायक निबंधक सचिव महाप्रबंधक उपस्थित रहे।

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